रविवार, 29 मार्च 2009

ये कैसा इंसाफ?

तीन खबरें लगभग एक साथ पढ़ने को मिली । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को क्लीन चिट दे दी। मुलायम पर मैनपुरी की महिला जिला अधिकारी को धमकाने का आरोप था। उसकी शिकायत स्वयं जिला अधिकारी ने सबूतों के साथ चुनाव आयोग को भेजी थी। आयोग ने विचार विमर्श के बाद उसमें कोई आपत्ति जनक चीज नहीं पाई। जिससे मुलायम को आचार संहिता के उल्लघंन का दोषी पाया जाए। लिहाजा, मुलायम को क्लीन चिट दे दी गई। दूसरी घटना के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री और इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार जगदीश टाइटलर को 1984 के सिख विरोधी दंगे में लिप्त रहने के आरोप से बरी कर दिया गया है। मामले की जांच कर रही सीबीआई को टाइटलर के खिलाफ 'ठोस सबूत' नहीं मिला है जिसके आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके। सीबीआई ने कहा है कि कैलिफोर्निया के दो सिखों जसवीर सिंह और सुरिंदर सिंह के इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि जगदीश टाइटलर ने 1984 के दंगों में हिंदुओं को सिखो पर हमले के लिए उकसाया था। सीबीआई ने दिल्ली की कड़कड़डूमा स्थित मेट्रोपोलिटन अदालत में इस मामले से जुड़ी अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की है। यह रिपोर्ट दस गवाहों के बयानों पर आधारित है। कांग्रेस द्वारा जगदीश टाइटलर को लोकसभा का उम्मीदवार बनाए जाने की घोषणा की सिख संगठनों ने कड़ी आलोचना की थी। इन्ही आलोचनाओं के बीच सीबीआई प्रमुख ने गृह मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात की थी, जिसकी माकपा ने कड़ी निंदा की थी। इस मामले की सुनवाई अदालत में होनी है। अदालत सीबीआई की रिपोर्ट पर विचार करेगी। तीसरी महत्वपूर्ण घटना के अनुसार पीलीभीत से भाजपा के उम्मीदवार वरुण गांधी ने 28 मार्च को पीलीभीत की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। अदालत ने उन्हें दो दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। वरुण गांधी पर आरोप था कि उन्होंने पांच मार्च को पीलभीत की एक सबा मे भाड़काऊ भाषण दिया। इस भाषण की सीडी इलेक्ट्रानिक मीडिया ने 16-17 मार्च को प्रमुख्ता से दिखाया जिसे चुनाव आयोग ने संज्ञान में लिया और भाजपा को सलाह दी कि वो वरुण गांधी को उम्मीदवार न बनाए। यानी आयोग ने सीडी में कही गई बातों को सही माना और वरुण गांधी को अपना पक्ष रखने का कोई मौका नहीं दिया। इस संबंध में वरुण का कहना है कि उनके भाषण को जो सीडी तैयार की गई है उससे छेड़छाड़ की गई है। उनकी बातों को संदर्भ से अलग करके दिखाया गया है। वरुण को उनके इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिला कि पांच मार्च को दिए गए उनके चुनावी भाषण की सीडी 16-17 मार्च को मीडिया ने क्यों दिखाया। उनके भाषण और उसके प्रसारण के बीच 11 दिनों का अंतर क्यों था। बहरहाल वरुण गांधी के खिलाफ बरखेड़ा थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई और पुलिस ने मामले क तहकीकात शुरू कर दी है। इस मामले में वरुण गांधी को किसी भी दिन गिरफ्तार किया जा सकता था इसलिए उन्होंने पीलीभीत की अदालत में आत्मसमर्पण करना उचित समझा। पुलिस वरुण को गिरफ्तार इसलिए नहीं कर रही थी क्योंकि उसे उपर से हरी झंडी का इंतजार था, और हरी झंडी इसलिए नहीं मिल रही थी क्योंकि वरुण को चुनावी लाभ मिलने की संभावना थी। वरुण ने स्वयं अदालत में हाजिर होकर सरकार के इरादो पर पानी फेर दिया और पीलीभीत की जनता का अपूर्व समर्थन तथा सहानुभूति अर्जित कर ली। अब उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार वरुण पर रासुका लगाने पर विचार कर रही है। वो इस अवसर को मुसलमानों के वोट के रुप में भुनाना चाह रही है। पीलीभीत में वरुण गांधी जब अदालत जा रहे थे तो उनके साथ करीब 25 हजार लोगों की भीड़ थी जिसे तितर बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और फायरिंग तक करनी पड़ी थी। राज्य सरकार वरुण पर रासुका लगाकर उनकी लोकप्रियता को मुस्लिम वोटों में तब्दील करना चाहती है। बहरहाल इन तीनो घटनाओं यानी मुलायम को चुनाव आयोग की क्लीन चिट, जगदीश टाइटलर को सीबीआई की क्लीन चिट और वरुण गांधी को चुनाव आयोग द्वारा अपराधी करार देने तथा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रासुका लगाने की तैयारी करने जैसी कठोर कार्रवाई के बीच पक्षपातपूर्ण रवैये की गंध नहीं आ रही है? इन तीनों घटनाओं में केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जो रुख अपनाए गए या अपनाए जा रहे हैं। क्या वो निस्पक्षता और नैसर्गिक न्याय की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं? जगदीश टाइटलर का नाम सिख विरोधी दंगों में उसी समय उभरा था जब दंगे हुए थे। देश का लगभग हर जागरुक नागरिक इस सच्चाई से इत्तफाक रखता था। लेकिन सीबीआई को उनके खिलाफ ‘ठोस सबूत’ नहीं मिले इसलिए उसने कांग्रेस के इस उम्मीदवार और पूर्व मंत्री को क्लीन चिट दे दी। कुछ ऐसा मामला मुलायम सिंह का भी है। उनके खिलाफ शिकायत एक जिलाधिकारी ने की जो महिला है। इस महिला अधिकारी की शिकायत को गंभीरता से लेने की बजाय चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह को बरी कर दिया। जबकि इस शिकायत को महिला उत्पीड़न कानून के तहत संज्ञेय अपराध माना जा सकता था। दूसरी तरफ वरुण गांधी जैसे नौजवान उम्मीदवार के खिलाफ रासुका लगाने की तैयारी हो रही है। मान लिया कि वरुण गांधी ने भड़काऊं भाषण दिया था, तो क्या इसे उनकी पहली गलती मानकर क्षमा नहीं करना चाहिए। जब जगदीश टाइटलर जैसे जगजाहिर दंगाई और मुलायम जैसे महिला अधिकारी को धमकाने वाले वरिष्ठ नेता को उनके अपराधों से मुक्त किया जा सकता है तो वरुण गांधी को क्यों नहीं मुक्त किया जा सकता। एक तरफ तो माया सरकार मुख्तार अंसारी जैसे माफिया डॉन को अपना उम्मीदवार बना रही है। दूसरी तरफ वरुण गांधी के खिलाफ रासुका लगाने की तैयारी कर रही है। क्या यही न्याय है? जो मीडिया वरुण गांधी के मामले में चीख पुकार मचा रही है। उसने बाकी दो मामलो में चुप्पी साथ लेना जरुरी क्यों समझा? क्या ये मामले वोट की राजनीति से प्रेरित नहीं हैं।

8 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

जिसकी लाठी उसकी भैंस!! जब चुनाव अधिकारी को ही बरी कर दिया गया तो उसका कुछ तोलाभ उठाना चाहिए कि नै!?

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

आपका स्वागत है ब्लॉग की सक्रीय दुनिया मे . वरुण कुछ ज्यादा ही नहीं हो गया

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

swaagat hai....shubhkamnayen.

RAJIV MAHESHWARI ने कहा…

साहब आपको भी लिखने की आजादी है ......वरुण को भी बोलने की आजादी है.........सरकार को कानून से खेलने की आजादी है........
बस .....आम आदमी को कुछ ना करने की आजादी है.

आपका ब्लोगिंग जगत में स्वागत है

Deepak Sharma ने कहा…

मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है
मज़हब से कौमें बँटी तो वतन का क्या होगा।
यूँ ही खिंचती रही दीवार ग़र दरम्यान दिल के
तो सोचो हश्र क्या कल घर के आँगन का होगा।
जिस जगह की बुनियाद बशर की लाश पर ठहरे
वो कुछ भी हो लेकिन ख़ुदा का घर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर कौ़में बनाने वालों सुन लो तुम
काम कोई दूसरा इससे ज़हाँ में बदतर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर दंगे, सियासत के हुक्म पे फितन
यूँ ही चलते रहे तो सोचो, ज़रा अमन का क्या होगा।
अहले-वतन शोलों के हाथों दामन न अपना दो
दामन रेशमी है "दीपक" फिर दामन का क्या होगा।
@कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in (http://www.kavideepaksharma.co.in/)
इस सन्देश को भारत के जन मानस तक पहुँचाने मे सहयोग दे.ताकि इस स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके और आवाम चुनाव मे सोच कर मतदान करे.

विनय ओझा 'स्नेहिल' ने कहा…

bahut badhiya. rajneeti aur charitra dono ka ek sath hona aaj durlabh sa ho raha hai.lekin kisko fasana hai aur kisko nikalna hai yeh bhee ek rajneeti ka hissa hai.jis tarah tikaton kee bandar baant ho rahi hai usse lok tantra aam aadmi kee bhagedari per sawaliya nishan lag raha hai.shahbuddin jail me to tikat unki bahu ko de dene se lagam to usee ke hath me rahi.yeh kaisa loktatntra hai?

अभिषेक मिश्र ने कहा…

शुभकामनाओं सहित स्वागत ब्लॉग परिवार में.

बच्चन सिंह ने कहा…

आप सब का शुक्रिया। मैं ब्लॉग की दुनिया में नया हूं। आशा हैं आप सब मेरा मार्ग दर्शन करते रहेंगे।

आपका

बच्चन सिंह