भारतीय जनता पार्टी ने 15वीं लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने घोषणापत्र में शायद ही कोई विषय छोड़ा हो। राम भक्तों से लेकर गरीब आदमी तक को और युवाओं से लेकर महिलाओं तक को खुश करने की कोशिश की है। खास बात ये है कि इस घोषणा पत्र में मुस्लिम तुष्टिकरण का सवाल उठाए बिना हिंदुत्व के एजेंडे को प्रमुखता दी गई है।
अयोध्या में राम मंदिर बनाने, रामसेतु को बचाने के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करने और गौहत्या पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने का वायदा किया गया है। गंगा के साथ ही सभी बड़ी नदियों की सफाई पर ध्यान दिया जाएगा और कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
घोषणापत्र में गरीबों पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। बीपीएल परिवार को प्रतिमाह 35 किलो चावल या गेहूं मात्र दो रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से दिया जाएगा। किसानों को सिर्फ 4 फीसदी ब्याज पर ऋण मुहैया कराए जाएंगे और इस समय उनपर जितने भी ऋण हैं उन्हें माफ कर दिया जाएगा।
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए ‘कार्मिक बैंक’ खोले जाएंगे ताकि उन्हें उचित समय पर सहायता मिल सके। शहरी गरीबों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे और गरीब कारोबारियों को चार फीसदी ब्याज पर ऋण दिलाया जाएगा। आयकर सीमा तीन लाख करके छोटे नौकरी पेशा लोगों को राहत दी जाएगी। महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयसीमा साढ़े तीन लाख रुपए सालाना होगी। निगमित क्षेत्रों और व्यापार से होने वाली आय को छोड़कर बैंकों में जमा सभी तरह की राशियों पर मिलने वाले ब्याज को आयकर से मुक्त कर दिया जाएगा।
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर रोक लगाने का वायदा भी किया गया है। राजग सरकार यदि सत्त में आई तो आतंकवाद रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। समुद्री सीमा की सुरक्षा की जाएगी और खुफिया तंत्र को प्रभावशाली बनाया जाएगी। देश में सक्रिय उग्रवादियों से सख्ती के साथ निपटा जाएगा। और सीमापार से संचालित आतंकवाद तथा देश में अलगाववादी गुटो को मिलने वाले धन के श्रोतों को बंद किया जाएगा।
एक अरसे से लंबित सेना की एक रैंक-एक पेंशन की मांग को लागू किया जाएगा और सभी सुरक्षा बलों के जवानों को मिलने वाला वेतन आयकर से मुक्त होगा। इसके अलावा भाजपा ने सेना के लिए अगल वेतन आयोग गठित करने का आश्वासन भी दिया है।
भाजपा के घोषणा पत्र में महिलाओं के हितों का भी ध्यान रखा गया है। विधायिका में महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण के लिए कानून बनाया जाएगा। पूरे देश में ‘लाड़ली लक्ष्मी’ कार्यक्रम लागू किया जाएगा। बीपीएल परिवार की स्कूल जाने वाली हर छात्रा को मुफ्त में साईकिल दी जाएगी। युवकों को आगे लाने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाया जाएगा। सन 2014 तक सभी व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए व्यापक कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
पेंशन को करमुक्त कर दिया जाएगा। और यात्री सुविधाओं की उम्र 65 वर्ष से घटाकर साठ वर्ष कर दी जाएगी। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र को विस्तृत आयाम दिया गया है। बीपीएल परिवार को तीन रुपए प्रति किलो अनाज देने की घोषणा कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में की है। भाजपा ने एक कदम आगे बढ़कर 2 रुपए प्रतिकिलो अनाज देने की घोषणा की। इसके लिए राजग सरकार को भारी सब्सिडी देनी पड़ेगी।
किसानों की कर्जमाफी की योजना तो मौजूदा केंद्र सरकार ने भी लागू की थी। लेकिन आधे-अधूरे मन से। इससे सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा था। यही कार्य करने का वायदा भाजपा ने भी किया है। केंद्र सरकार खाद और बीज पर सब्सिडी लगातार घटाती जा रही है। इसलिए एक तो ये महंगे होते जा रहे हैं। दूसरी ओर इनकी उपलब्धता कम होती जा रही है। खाद के लिए जुटी किसानों की बेसब्र भीड़ पर पुलिस बेरहमी से लाठियां बरसाती है।
खेती के काम आने वाले जिंसों के दामों में बेतहाशा वृद्धी होती जा रही है। इसलिए ये घाटे का सौदा बन गई है। कर्ज में डूबे किसानों को आत्महत्याएं तक करनी पड़ रही है। इसलिए सिर्फ बैंक का ऋण माफ कर देने से काम नहीं चलेगा। इस दिशा में ऐसा ठोस उपाय करना पड़ेगा कि खेती घाटे से उबर कर लाभ की स्थिति में आ जाए और किसान आत्मनिर्भर हो जाए।
प्राय देखा गया है कि सरकारें जो योजनाएं चलाती हैं, जमीनी स्तर पर उन्हें लागू करना बेहद कठिन होता है। ये जनहित की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। बीपीएल परिवारों को सस्ते दर पर अनाज दिए जाने वाली योजना का यही हाल है। अनाज केंद्र सरकार देती है, उसे गरीबों तक पहुंचाने वाली मशीनरी राज्य सरकार की होती है। केंद्र सरकार ने इस योजना के मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं की है। इसमें लाभ का मार्जिन बहुत ज्यादा है। इसलिए कोटेदार से लेकर खाद्य विभाग के कर्मचारियों और अफसरों तथा खाद्य मंत्रालय तक इस सस्ते अनाज की चोरबाजारी से होने वाली आय का बंटवारा होता है। गरीब परिवार अभिशप्त होते हैं।
इसी प्रकार भाजपा मंदिर और कश्मीर से धारा 370 हटाने के बारे में दिए गए आश्वासनों को लागू नहीं कर सकती। इसके लिए भाजपा को केंद्र में अपने दम पर पूर्ण बहुमत से लेकर दो तिहाई बहुमत वाली सरकार चाहिए। मिलीजुली सरकारों के बल पर ये आश्वासन पूरे नहीं किए जा सकते।
यही हाल गोवंश की हत्या पूरे देश में रोकने से संबंधित मुद्दे का भी है। कोई सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में व्यक्तियों के खानपान को नियंत्रित नहीं कर सकती। दूर क्यों जाएं जिस उत्तर प्रदेश में गोकशी पूरी तरह प्रतिबंधित है। उसमें भी गोमांस का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है।
आवश्यकता इस बात की है कि कल्याणकारी योजनाओं को व्यवहारिक धरातल पर भी परखा जाए। और उनपर निगरानी के लिए ऐसी मशीनरी विकसित की जाए जो उसका दुरुपयोग रोक सके। प्राय देखा गया है कि राजनीतिक पार्टियां चुनावों के मौकों पर जो घोषणाएं करती है, उनका क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता। होता भी है तो आधा अधूरा।
सरकार और जनता के बीच का भ्रष्ट तंत्र पूरी मलाई हजम कर जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार को अपने कार्यविधि में गुणात्मक परिवर्तन लाना होगा। यदि भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए सारे वायदे पूरे हो जाएं तो देश में सचमुच राम राज्य आ जाए। लेकिन जनता जानती है कि उसके नसीब में यह नहीं हैं।
अयोध्या में राम मंदिर बनाने, रामसेतु को बचाने के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करने और गौहत्या पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने का वायदा किया गया है। गंगा के साथ ही सभी बड़ी नदियों की सफाई पर ध्यान दिया जाएगा और कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
घोषणापत्र में गरीबों पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। बीपीएल परिवार को प्रतिमाह 35 किलो चावल या गेहूं मात्र दो रुपए प्रतिकिलो के हिसाब से दिया जाएगा। किसानों को सिर्फ 4 फीसदी ब्याज पर ऋण मुहैया कराए जाएंगे और इस समय उनपर जितने भी ऋण हैं उन्हें माफ कर दिया जाएगा।
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए ‘कार्मिक बैंक’ खोले जाएंगे ताकि उन्हें उचित समय पर सहायता मिल सके। शहरी गरीबों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे और गरीब कारोबारियों को चार फीसदी ब्याज पर ऋण दिलाया जाएगा। आयकर सीमा तीन लाख करके छोटे नौकरी पेशा लोगों को राहत दी जाएगी। महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयसीमा साढ़े तीन लाख रुपए सालाना होगी। निगमित क्षेत्रों और व्यापार से होने वाली आय को छोड़कर बैंकों में जमा सभी तरह की राशियों पर मिलने वाले ब्याज को आयकर से मुक्त कर दिया जाएगा।
खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर रोक लगाने का वायदा भी किया गया है। राजग सरकार यदि सत्त में आई तो आतंकवाद रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। समुद्री सीमा की सुरक्षा की जाएगी और खुफिया तंत्र को प्रभावशाली बनाया जाएगी। देश में सक्रिय उग्रवादियों से सख्ती के साथ निपटा जाएगा। और सीमापार से संचालित आतंकवाद तथा देश में अलगाववादी गुटो को मिलने वाले धन के श्रोतों को बंद किया जाएगा।
एक अरसे से लंबित सेना की एक रैंक-एक पेंशन की मांग को लागू किया जाएगा और सभी सुरक्षा बलों के जवानों को मिलने वाला वेतन आयकर से मुक्त होगा। इसके अलावा भाजपा ने सेना के लिए अगल वेतन आयोग गठित करने का आश्वासन भी दिया है।
भाजपा के घोषणा पत्र में महिलाओं के हितों का भी ध्यान रखा गया है। विधायिका में महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण के लिए कानून बनाया जाएगा। पूरे देश में ‘लाड़ली लक्ष्मी’ कार्यक्रम लागू किया जाएगा। बीपीएल परिवार की स्कूल जाने वाली हर छात्रा को मुफ्त में साईकिल दी जाएगी। युवकों को आगे लाने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम बनाया जाएगा। सन 2014 तक सभी व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए व्यापक कार्यक्रम चलाए जाएंगे।
पेंशन को करमुक्त कर दिया जाएगा। और यात्री सुविधाओं की उम्र 65 वर्ष से घटाकर साठ वर्ष कर दी जाएगी। इस प्रकार हम देख सकते हैं कि भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र को विस्तृत आयाम दिया गया है। बीपीएल परिवार को तीन रुपए प्रति किलो अनाज देने की घोषणा कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में की है। भाजपा ने एक कदम आगे बढ़कर 2 रुपए प्रतिकिलो अनाज देने की घोषणा की। इसके लिए राजग सरकार को भारी सब्सिडी देनी पड़ेगी।
किसानों की कर्जमाफी की योजना तो मौजूदा केंद्र सरकार ने भी लागू की थी। लेकिन आधे-अधूरे मन से। इससे सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ा था। यही कार्य करने का वायदा भाजपा ने भी किया है। केंद्र सरकार खाद और बीज पर सब्सिडी लगातार घटाती जा रही है। इसलिए एक तो ये महंगे होते जा रहे हैं। दूसरी ओर इनकी उपलब्धता कम होती जा रही है। खाद के लिए जुटी किसानों की बेसब्र भीड़ पर पुलिस बेरहमी से लाठियां बरसाती है।
खेती के काम आने वाले जिंसों के दामों में बेतहाशा वृद्धी होती जा रही है। इसलिए ये घाटे का सौदा बन गई है। कर्ज में डूबे किसानों को आत्महत्याएं तक करनी पड़ रही है। इसलिए सिर्फ बैंक का ऋण माफ कर देने से काम नहीं चलेगा। इस दिशा में ऐसा ठोस उपाय करना पड़ेगा कि खेती घाटे से उबर कर लाभ की स्थिति में आ जाए और किसान आत्मनिर्भर हो जाए।
प्राय देखा गया है कि सरकारें जो योजनाएं चलाती हैं, जमीनी स्तर पर उन्हें लागू करना बेहद कठिन होता है। ये जनहित की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। बीपीएल परिवारों को सस्ते दर पर अनाज दिए जाने वाली योजना का यही हाल है। अनाज केंद्र सरकार देती है, उसे गरीबों तक पहुंचाने वाली मशीनरी राज्य सरकार की होती है। केंद्र सरकार ने इस योजना के मॉनिटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं की है। इसमें लाभ का मार्जिन बहुत ज्यादा है। इसलिए कोटेदार से लेकर खाद्य विभाग के कर्मचारियों और अफसरों तथा खाद्य मंत्रालय तक इस सस्ते अनाज की चोरबाजारी से होने वाली आय का बंटवारा होता है। गरीब परिवार अभिशप्त होते हैं।
इसी प्रकार भाजपा मंदिर और कश्मीर से धारा 370 हटाने के बारे में दिए गए आश्वासनों को लागू नहीं कर सकती। इसके लिए भाजपा को केंद्र में अपने दम पर पूर्ण बहुमत से लेकर दो तिहाई बहुमत वाली सरकार चाहिए। मिलीजुली सरकारों के बल पर ये आश्वासन पूरे नहीं किए जा सकते।
यही हाल गोवंश की हत्या पूरे देश में रोकने से संबंधित मुद्दे का भी है। कोई सरकार देश के विभिन्न हिस्सों में व्यक्तियों के खानपान को नियंत्रित नहीं कर सकती। दूर क्यों जाएं जिस उत्तर प्रदेश में गोकशी पूरी तरह प्रतिबंधित है। उसमें भी गोमांस का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है।
आवश्यकता इस बात की है कि कल्याणकारी योजनाओं को व्यवहारिक धरातल पर भी परखा जाए। और उनपर निगरानी के लिए ऐसी मशीनरी विकसित की जाए जो उसका दुरुपयोग रोक सके। प्राय देखा गया है कि राजनीतिक पार्टियां चुनावों के मौकों पर जो घोषणाएं करती है, उनका क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता। होता भी है तो आधा अधूरा।
सरकार और जनता के बीच का भ्रष्ट तंत्र पूरी मलाई हजम कर जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार को अपने कार्यविधि में गुणात्मक परिवर्तन लाना होगा। यदि भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए सारे वायदे पूरे हो जाएं तो देश में सचमुच राम राज्य आ जाए। लेकिन जनता जानती है कि उसके नसीब में यह नहीं हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें