
कल्याण सिंह से दोस्ती करते समय मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह की लोकप्रियता का लाभ उठाना और भाजपा को गहरी चोट पहुंचाना उनका मकसद है। इस तरह मुलायम सिंह एक सांप्रदायिक नेता की सहायता एक तथाकथित सांप्रदायिक पार्टी भाजपा को नेस्तनाबूद करने का सपना आखों में पाले हुए इस चुनाव में कूदे थे। पहले दौर के इस चुनाव में कल्याण सिंह की लोकप्रियता कसौटी पर कसी गई है। ये कितनी खरी उतरी है इसका पता परिणाम आने के बाद ही चलेगा। इस बात का भी परिणाम सामने आएगा कि कल्याण सिंह से हाथ मिलाने का कितना असर मुलायम सिंह के मुस्लिम वोटों पर पड़ेगा। किसने प्रतिशत मुस्लिम वोट कांग्रेस और बसपा के खाते में गए हैं।
प्रदेश की मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमों ने एक तरफ माफिया डॉन मुख्तार को पार्टी का वाराणसी से उम्मीदवार बनाया और दूसरी तरफ वाराणसी की ही सभा में उन्होंने मुख्तार को क्लीन चिट दी। उन्होंने साफ कहा कि मुख्तार अंसारी अपराधी नहीं है। मायावती की धारणा है कि मुख्तार का व्यापक प्रभाव पूर्वी उत्तर प्रदेश के मुसलमानों पर है। इसका लाभ उन्हें पूर्वांचल में मिलेगा।
यह चुनाव यह स्पष्ट करेगा कि जिन 16 सीटों के लिए मतदान हुआ है उनपर बसपा को कितने प्रतिशत मुस्लिम मतों का लाभ मिला है। मुख्तार अंसारी ने सिर्फ अपने संसदीय सीट वाराणसी में ही मुसलमानों को अपने पक्ष में किया है या अन्य सीटों पर भी बसपा को मिलने वाले मुस्लिम मतों में इजाफा हुआ है। मायावती ने भाजपा के फायरब्रांड युवा नेता। वरुण गांधी पर रासुका लगाकर जेल में डाल दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के परिणाम स्वरुप वरुण पेरोल पर जेल से बाहर आ गए। इससे मायावती की जबरदस्त किरकिरी हुई और वरुण गांधी के प्रति मतदाताओं के मन में सहानुभूति का ज्वार उमड़ा है। भाजपा नेताओं के साथ ही राजनीति के विश्लेषकों का भी कहना है कि वरुण की बेवजह गिरफ्तारी और उनपर रासुका तामील करने का लाभ भाजपा को भी मिलेगा।
वरुण गांधी की पीलीभीत में भारी मतों से जीत तो तय है ही। उनकी मां मेनका गांधी भी आंवला संसदीय क्षेत्र से जीत जाएंगी। देखने की बात ये होगी कि पहले चरण में यूपी की जिन 16 सीटों पर मतदान हुआ उनमें भाजपा को इसका कितना लाभ मिला। मतदान स्थलों का दौरा करने वाले कुछ पत्रकारों को भाजपा की स्थिति में सुधार अवश्य देखने को मिला। लेकिन इसका निर्णायक प्रभाव किस हद तक पड़ेगा इसका पता तो मतों की गिनती के बाद ही लगेगा। वैसे भाजपा उत्तर प्रदेश की 16 सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत बता रही है।
इतना तो तय है कि बसपा की लोकप्रियता इस चुनाव में वैसी नहीं रह गई है जैसी विधानसभा के चुनाव में थी। वरुण गांधी को रासुका में निरुद्ध करने का नकारात्मक प्रभाव तो उस पर पड़ा ही है। भदोही विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में पराजय की खीझ सिर्फ दो ब्राह्मण नेताओं पर उतारने का प्रतिकूल असर भी ब्राह्मण मतदाताओं पर पड़ा है। पहले चरण के मतदान में ब्राह्मण मतदाताओं का रुझान भाजपा की तरफ देखने में आया है। जौनपुर संसदीय क्षेत्र से इंडियन जस्टिस पार्टी के उम्मीदवार बहादुर सोनकर की हत्या का असर कम से कम सजातीय मतों पर तो पड़ा ही है। पुलिस भले ही इसे आत्महत्या बता रही हो। लेकिन स्थानीय लोग इसपर यकीन नहीं कर रहे। उनका पक्का विश्वास है कि उनकी हत्या की गई है और इसे अंजाम दिया है बसपा प्रत्याशी धनंजय सिंह के गुर्गों ने। क्योंकि सोनकर उन्हें ही क्षति पहुंचा रहे थे। इसके बावजूद बसपा की स्थिति अन्य पार्टियों के मुकाबले अच्छी दिखी। आजमगढ़ अकबर अहमद डंपी पिछले उपचुनाव के नतीजे दोहरा सकते हैं।
माना जा रहा है कि उंट किसी भी करवट बैठ सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें